Difference between revisions of "सहवास"
From Cross the Hurdles
Line 13: | Line 13: | ||
शराब के नशे में चूर घिनौने लोग, यहाँ तक कभी कभी उसे हिंसा का सामना भी करना पड़ता, लोग पैसे दे कर उसके शरीर को नोच डालते थे, ये भी भूल जाते थे की वो भी एक इंसान है उसे भी काटने से दर्द होता है. एक बार एक शेख ने उसे सिगरेट से जला दिया जगह जगह वो चीखती और शेख खुश होता.घर जा कर राधा बाई को हक़ीक़त बताई तो उसने कहा देख मेरी बच्ची उस शेख ने जितने पैसे दिए है न उसमें तो विदेश जा कर भी अपना इलाज करवा सकती है ये छोटे मोटे घाव तो दो चार दिन में भर जायेंगे पर ऐसा कस्टमर फिर नहीं मिलेगा....आप क्या लेंगी....सुमन फिर चौंक उठी 'आप' सुनकर...तू तड़ाक और गालियां सुनने के आदी कानो को सहज ही भरोसा नहीं हो रहा था फिर भी उसने कहा थैंक यू में ड्रिंक नहीं करती..फिर मुस्कुराते हुए वो बोला सुनो घबराने के जरूरत नहीं मुझे एक कंपनी चाहिए अपन समय बिताने के लिए तुम भी मेरे जैसी ही हो बेझिझक और बेपरवाह रहो...मैं कोई जानवर नहीं हूँ...सुमन मन ही मन सोचने लगी…हाँ दिखते तो सब इंसान जैसे ही है पर हक़ीक़त कौन जाने…बड़ी ज़िद के बाद सुमन ने अपने लिए कोक मंगाई. धीरे धीरे सुमन ने महसूस किया की ये इंसान अब तक मिले सारे कस्टमर से बेहतर है काम जानते हुए और वो भी तब जब उसने पूरे तीन दिन के पैसे भी दे दिए ४ घंटे बाद भी बेहद शालीनता से पेश आ रहे इस इंसान में सुमन की भी दिलचस्पी बढ़ने लगी...एक लम्बा अंतराल बीत गया उस कस्टमर ने सुमन के लिए खाना मंगाया. सुमन ने बातों बातों में उसके गिलास से कुछ घूंट व्हिस्की पी ली…अब सुमन भी उससे बात करके अच्छा महसूस कर रही थी...थोड़ी देर बाद सुमन भी काफी व्हिस्की पी चुकी थी…नशे में ही उसने कहाँ, सुनिए आपने इतना समय यूँही बिता दिया क्यों कुछ करना नहीं है क्या? फिर वही मीठी सी मुस्कान के साथ उसने जवाब दिया.. कर तो रहा हूँ तुमसे ढेर सारी बात तुम्हारे साथ इतना बेहतर वक़्त बिता रहा हूँ तुमको जानने की कोशिश कर रहा हूँ...सुमन ने थोड़ा सा रूखे लहजे में जबाब दिया.. क्यों क्या करेंगे मेरे बारे में जानकारी हासिल करके? आप कोई पत्रकार या टीवी वाले है जो मेरी कहानी जानकार कल छाप देंगे? नहीं में भारत सरकार के लिए काम करता हूँ...क्या काम, सुमन ने पूछा. वो नहीं बता सकता, मजबूरी है. सुमन ने कहा, छोड़ों मुझे क्या करना है...मेरा इतना बढ़िया समय पास हो रहा है जो कम से कम उस चुड़ैल राधा बाई के पास रहने से तो कई गुना बेहतर है. सुमन अब सोफे से उठकर बेड पर उसके करीब आ कर बैठ गयी और उसने एक सिगरेट जला ली…तुम सिगरेट भी पीती हो...हाँ कभी कभी जब आप जैसे अच्छे लोग मिल जाते है..वो हंसकर बोला अच्छे लोग?..में अच्छा हूँ तुमको कैसे मालूम? सुमन साहब रोज़ दुनिया से पाला पड़ता है इतना तो समझ सकती हूँ. बातों का सिलसिला और पीने का दौर चलता ही गया ...और इस दौरान सुमन ने अपने जीवन का सारा सत्य सब कुछ उगल दिया, सुबह के ५.०० बज रहे थे और पी कर निढाल हो सुमन बिस्तर पर गिर पड़ी... | शराब के नशे में चूर घिनौने लोग, यहाँ तक कभी कभी उसे हिंसा का सामना भी करना पड़ता, लोग पैसे दे कर उसके शरीर को नोच डालते थे, ये भी भूल जाते थे की वो भी एक इंसान है उसे भी काटने से दर्द होता है. एक बार एक शेख ने उसे सिगरेट से जला दिया जगह जगह वो चीखती और शेख खुश होता.घर जा कर राधा बाई को हक़ीक़त बताई तो उसने कहा देख मेरी बच्ची उस शेख ने जितने पैसे दिए है न उसमें तो विदेश जा कर भी अपना इलाज करवा सकती है ये छोटे मोटे घाव तो दो चार दिन में भर जायेंगे पर ऐसा कस्टमर फिर नहीं मिलेगा....आप क्या लेंगी....सुमन फिर चौंक उठी 'आप' सुनकर...तू तड़ाक और गालियां सुनने के आदी कानो को सहज ही भरोसा नहीं हो रहा था फिर भी उसने कहा थैंक यू में ड्रिंक नहीं करती..फिर मुस्कुराते हुए वो बोला सुनो घबराने के जरूरत नहीं मुझे एक कंपनी चाहिए अपन समय बिताने के लिए तुम भी मेरे जैसी ही हो बेझिझक और बेपरवाह रहो...मैं कोई जानवर नहीं हूँ...सुमन मन ही मन सोचने लगी…हाँ दिखते तो सब इंसान जैसे ही है पर हक़ीक़त कौन जाने…बड़ी ज़िद के बाद सुमन ने अपने लिए कोक मंगाई. धीरे धीरे सुमन ने महसूस किया की ये इंसान अब तक मिले सारे कस्टमर से बेहतर है काम जानते हुए और वो भी तब जब उसने पूरे तीन दिन के पैसे भी दे दिए ४ घंटे बाद भी बेहद शालीनता से पेश आ रहे इस इंसान में सुमन की भी दिलचस्पी बढ़ने लगी...एक लम्बा अंतराल बीत गया उस कस्टमर ने सुमन के लिए खाना मंगाया. सुमन ने बातों बातों में उसके गिलास से कुछ घूंट व्हिस्की पी ली…अब सुमन भी उससे बात करके अच्छा महसूस कर रही थी...थोड़ी देर बाद सुमन भी काफी व्हिस्की पी चुकी थी…नशे में ही उसने कहाँ, सुनिए आपने इतना समय यूँही बिता दिया क्यों कुछ करना नहीं है क्या? फिर वही मीठी सी मुस्कान के साथ उसने जवाब दिया.. कर तो रहा हूँ तुमसे ढेर सारी बात तुम्हारे साथ इतना बेहतर वक़्त बिता रहा हूँ तुमको जानने की कोशिश कर रहा हूँ...सुमन ने थोड़ा सा रूखे लहजे में जबाब दिया.. क्यों क्या करेंगे मेरे बारे में जानकारी हासिल करके? आप कोई पत्रकार या टीवी वाले है जो मेरी कहानी जानकार कल छाप देंगे? नहीं में भारत सरकार के लिए काम करता हूँ...क्या काम, सुमन ने पूछा. वो नहीं बता सकता, मजबूरी है. सुमन ने कहा, छोड़ों मुझे क्या करना है...मेरा इतना बढ़िया समय पास हो रहा है जो कम से कम उस चुड़ैल राधा बाई के पास रहने से तो कई गुना बेहतर है. सुमन अब सोफे से उठकर बेड पर उसके करीब आ कर बैठ गयी और उसने एक सिगरेट जला ली…तुम सिगरेट भी पीती हो...हाँ कभी कभी जब आप जैसे अच्छे लोग मिल जाते है..वो हंसकर बोला अच्छे लोग?..में अच्छा हूँ तुमको कैसे मालूम? सुमन साहब रोज़ दुनिया से पाला पड़ता है इतना तो समझ सकती हूँ. बातों का सिलसिला और पीने का दौर चलता ही गया ...और इस दौरान सुमन ने अपने जीवन का सारा सत्य सब कुछ उगल दिया, सुबह के ५.०० बज रहे थे और पी कर निढाल हो सुमन बिस्तर पर गिर पड़ी... | ||
− | अचानक किसी ने उसे पकड़ कर उठाया तो ...देखा वही कस्टमर जिसने अपना नाम आनंद बताया था उसे जगाने की कोशिस कर रहा था ..२ बज चुके है उठो क्या लंच नहीं करना कब से सो रही हो.सुमन का सर बिलकुल भारी हो गया था रात को इतना पी लेने से... सुमन उठ कर वाशरूम में चली गयी. उससे फिर सब हक़ीक़त याद आई की वो कहाँ है और क्यों? पर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ की एक रात बीत जाने के बाद भी उसके साथ कुछ नहीं हुआ था. सुमन नहा कर बहार निकली तो लंच तैयार था…दोनों ने मिलकर लंच किया. सुमन इतने ज़िंदादिल कस्टमर को पहली बार पाकर बेहद खुश थी. | + | अचानक किसी ने उसे पकड़ कर उठाया तो ...देखा वही कस्टमर जिसने अपना नाम आनंद बताया था उसे जगाने की कोशिस कर रहा था ..२ बज चुके है उठो क्या लंच नहीं करना कब से सो रही हो.सुमन का सर बिलकुल भारी हो गया था रात को इतना पी लेने से... सुमन उठ कर वाशरूम में चली गयी. उससे फिर सब हक़ीक़त याद आई की वो कहाँ है और क्यों? पर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ की एक रात बीत जाने के बाद भी उसके साथ कुछ नहीं हुआ था. सुमन नहा कर बहार निकली तो लंच तैयार था…दोनों ने मिलकर लंच किया. सुमन इतने ज़िंदादिल कस्टमर को पहली बार पाकर बेहद खुश थी. आज पहली बार उसे आदमियों में थोड़ा दिलचस्पी हो रही थी. |
− | + | सुमन तुम्हारी कहानी बेहद दर्दनाक है. सच पूछो तो मुझे भी एक आत्मग्लानि होती है की में भी उसी तंत्र का एक हिस्सा हूँ. सुमन क्या तुम नहीं चाहती की तुम अपने गांव वापिस जाओ...इस दलदल से निकल कर एक बेहतर ज़िन्दगी शुरू करो. सुमन की आँखों से आंसू छलक उठे थे इसलिए नहीं की उसके घर की बात हुई थी इसलिए की एक इंसान ने आज पहली बार उससे पूछा था की क्या वो अपने घर जाना चाहती है...काफी देर तक रोने के बाद उसने कहा, सर मैं इस बाजार में जबरन धकेल दी गयी मै इस दलदल में कभी रहना नहीं चाहती पर आज तक कोई मिला नहीं जो मुझे इस दलदल से निकलने मे मेरी मदद कर सके. और अब मेरा पूरा परिवार मेरी कमाई पर चलता है अगर घर गयी भी तो क्या कर पाऊँगी एक छोटा सा प्लाट है गाँव में उसी पर घर है पर माँ की दवा भाई की पढ़ाई ये सब कैसे होगा..काश में निकल पाती इस दलदल से इन बेरहम लोगों की दुनिया से. आनंद की नम आँखों को पढ़ पा रही थी सुमन..लंच के बाद आनंद ने सुमन की आँखों में देखते हुए कहा सुनो सुमन, तुम एक बेहद अच्छी इंसान हो जो तुम्हारे साथ हुआ उसे भूल जाओ और एक नयी ज़िन्दगी शुरू करो. तुमको जितनी मदद चाहिए में करूँगा. तुम अपने गाँव को भी छोड़ कर कहीं और चली जाओ और नए सिरे से ज़िन्दगी शुरू करो. तुम सोच के मुझे बताओ की तुम क्या करना चाहती हो और उसके लिए तुमको क्या चाहिए…सुमन जड़वत होकर ये सुन रही थी उसे अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था..फिर भी उसने कहा ठीक है में सोच कर बताउंगी... | |
२५ दिसम्बर पुरे मुंबई में क्रिसमस की रौनक थी और वही जगमगाहट सुमन को अब अपनी ज़िन्दगी में भी दिखाई दे रही थी,सुमन ने आनंद का मोबाइल नंबर लिया और उससे विदा ली जाते जाते वो ये कहना नहीं भूली "सर ये तीन दिन मेरे जीवन के सबसे बेहतरीन दिन थे"..आनंद बस मुस्कुरा कर रह गया. सुमन ने राधा बाई को एक महीने की छूटी ले कर माँ के इलाज़ के लिए गांव जाने की बात कही. राधा बाई जानती थी की अगर सुमन को रोके रखना है तो क्या करना है उसने कहा देख सुमन मैं पैसे तो तुझे पुरे अभी नहीं दूंगी तू १०००० लेले अभी, बाकि के तेरे पैसे जब तू वापस आ जाएगी तब तुझे दे दूंगी. सुमन के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था उसने राधा बाई की बात स्वीकार कर ली और वो अपने गाँव मेरठ के लिए निकल पड़ी. | २५ दिसम्बर पुरे मुंबई में क्रिसमस की रौनक थी और वही जगमगाहट सुमन को अब अपनी ज़िन्दगी में भी दिखाई दे रही थी,सुमन ने आनंद का मोबाइल नंबर लिया और उससे विदा ली जाते जाते वो ये कहना नहीं भूली "सर ये तीन दिन मेरे जीवन के सबसे बेहतरीन दिन थे"..आनंद बस मुस्कुरा कर रह गया. सुमन ने राधा बाई को एक महीने की छूटी ले कर माँ के इलाज़ के लिए गांव जाने की बात कही. राधा बाई जानती थी की अगर सुमन को रोके रखना है तो क्या करना है उसने कहा देख सुमन मैं पैसे तो तुझे पुरे अभी नहीं दूंगी तू १०००० लेले अभी, बाकि के तेरे पैसे जब तू वापस आ जाएगी तब तुझे दे दूंगी. सुमन के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था उसने राधा बाई की बात स्वीकार कर ली और वो अपने गाँव मेरठ के लिए निकल पड़ी. |