Difference between revisions of "सहवास"
From Cross the Hurdles
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|ArticleContent="सुमन" माता पिता नाम तो रखते है बेहद सोच समझ कर, पर ज़िंदगी उनके मायने अक्सर बदल देती है...किसी को क्या पता सुमन कहाँ चढ़ाया जायेगा या कहाँ रौंदा जायेगा. बीता कल आँखों के सामने जब भी आता उसे एहसास करता था इस संसार और इंसान दोनों की विविधता का विचित्रता का...दीदी एक चॉक्लेट दे दो एक छोटी सी लड़की की आवाज से सुमन की तन्द्रा टूटी..मुस्कुरा कर उसने उसे एक चॉक्लेट पकड़ाई…फिर से सुमन अपने जनरल स्टोर की चेयर पर बैठकर खो गयी यादों के भंवर में...वो भी तब केवल ९ साल की थी जब उसे चॉकलेट दे दे कर फुसलाने वाली उसकी बुआ ने पढ़ाई के नाम पर उसे मुम्बई ले जा कर बेच दिया था राधा बायीं के कोठे पर. पिता थे नहीं, घर गरीबी से भरा था इसलिए माँ ने बुआ की बात सुन कर उसे मुम्बई भेज दिया. | |ArticleContent="सुमन" माता पिता नाम तो रखते है बेहद सोच समझ कर, पर ज़िंदगी उनके मायने अक्सर बदल देती है...किसी को क्या पता सुमन कहाँ चढ़ाया जायेगा या कहाँ रौंदा जायेगा. बीता कल आँखों के सामने जब भी आता उसे एहसास करता था इस संसार और इंसान दोनों की विविधता का विचित्रता का...दीदी एक चॉक्लेट दे दो एक छोटी सी लड़की की आवाज से सुमन की तन्द्रा टूटी..मुस्कुरा कर उसने उसे एक चॉक्लेट पकड़ाई…फिर से सुमन अपने जनरल स्टोर की चेयर पर बैठकर खो गयी यादों के भंवर में...वो भी तब केवल ९ साल की थी जब उसे चॉकलेट दे दे कर फुसलाने वाली उसकी बुआ ने पढ़ाई के नाम पर उसे मुम्बई ले जा कर बेच दिया था राधा बायीं के कोठे पर. पिता थे नहीं, घर गरीबी से भरा था इसलिए माँ ने बुआ की बात सुन कर उसे मुम्बई भेज दिया. | ||
− | १० वर्षो तक राधा बाई ने उसके शरीर का इस्तेमाल कर खूब पैसा कमाया...वैसे उसने कभी सुमन के रहने खाने और पहनने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी.पर उसे कभी आज़ाद नहीं होने दिया...सुमन सब कुछ करती रही एक मशीन की तरह जो भी पैसा कमाती वो माँ की दवाइयों और भाई की पढ़ाई में खर्च हो जाता ...१० साल तक मुम्बई के होटलों में घूमते घूमते सुमन की ज़िन्दगी बस एक चक्रव्यूह में उलझ कर रह गयी थी...माँ के घुटने काम नहीं करते थे वो बिस्तर पर पड़े रहती थी | + | १० वर्षो तक राधा बाई ने उसके शरीर का इस्तेमाल कर खूब पैसा कमाया...वैसे उसने कभी सुमन के रहने खाने और पहनने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी.पर उसे कभी आज़ाद नहीं होने दिया...सुमन सब कुछ करती रही एक मशीन की तरह जो भी पैसा कमाती वो माँ की दवाइयों और भाई की पढ़ाई में खर्च हो जाता ...१० साल तक मुम्बई के होटलों में घूमते घूमते सुमन की ज़िन्दगी बस एक चक्रव्यूह में उलझ कर रह गयी थी...माँ के घुटने काम नहीं करते थे वो बिस्तर पर पड़े रहती थी. छोटा भाई पढ़ रहा था. किसी तरह सुमन चला रही थी घर पर वो उसकी मजबूरी होते हुए. भी उसे घिन आती थी इस दलदल और इस समाज से सुमन ने कई बार कोशिश की भागने की पर पकड़े जाने पर यातनाओ का एक दौर चलता था जिसे सोच कर आज भी उसकी रूह काँप उठती है. सुमन केवल अपनी किस्मत पर आंसू बहाने के सिवाय कुछ नहीं कर सकती थी. |
− | वो २३ दिसंबर की रात थी जब राधा बाई ने उसे बुलाकर कहा, सुमन एक बहुत आमिर कस्टमर है उसके पास तुमको तीन दिन रहना है. फिर राधा बाई का आदमी उसे छोड़ आया था वर्ली के उस होटल में. सुमन के लिए ये रोज़ जैसा काम था वो बेझिझक कमरे में चली गयी. और आराम से सोफे पर बैठ गयी...उस आदमी ने बार बार सुमन को देखा फिर राधा बाई के आदमी को पैसे दिए और कहा | + | वो २३ दिसंबर की रात थी जब राधा बाई ने उसे बुलाकर कहा, सुमन एक बहुत आमिर कस्टमर है उसके पास तुमको तीन दिन रहना है. फिर राधा बाई का आदमी उसे छोड़ आया था वर्ली के उस होटल में. सुमन के लिए ये रोज़ जैसा काम था वो बेझिझक कमरे में चली गयी. और आराम से सोफे पर बैठ गयी...उस आदमी ने बार बार सुमन को देखा, फिर राधा बाई के आदमी को पैसे दिए और कहा कि २५ शाम को छोड़ देगा. राधा बाई के आदमी के जाते ही...बड़े ही शांत तरीके से उसने पूछा, तुम्हारा नाम क्या है? रिया, सुमन ने जवाब दिया...ये उसे राधा बाई का दिया नाम था और धंधे का उसूल था की अपना असली नाम कभी नहीं बताना, यही इस्तेमाल करना होता था. उसने मुस्कुरा कर कहा, अच्छा अब बताओ तुम्हारा असली नाम क्या है? सुमन चौंक गयी पर अपने भाव छुपाते हुए उसने कहा, अरे मेरा असली नाम रिया ही है. अगर विश्वास न हो तो मेरा आई कार्ड देख सकते है...उसने फिर मुस्कुराते हुआ कहा, नहीं ठीक है तुम कहती हो तो मान लेता हूँ. आज सुमन को पहली बार कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था. पिछले १० सालो में उसका वास्ता इंसानो से नहीं, जानवरों से भी बदतर लोगो से पड़ा था. जो उसे एक बेजान वस्तु समझ कर इस्तेमाल करते थे बिना उसकी तकलीफों की परवाह करे. |
− | शराब के नशे में चूर घिनौने लोग, यहाँ तक कभी कभी उसे हिंसा का सामना भी करना पड़ता, लोग पैसे दे कर उसके शरीर को नोच | + | शराब के नशे में चूर घिनौने लोग, यहाँ तक कभी कभी उसे हिंसा का सामना भी करना पड़ता, लोग पैसे दे कर उसके शरीर को नोच डालते थे, ये भी भूल जाते थे की वो भी एक इंसान है उसे भी काटने से दर्द होता है. एक बार एक शेख ने उसे सिगरेट से जला दिया जगह जगह वो चीखती और शेख खुश होता.घर जा कर राधा बाई को हक़ीक़त बताई तो उसने कहा देख मेरी बच्ची उस शेख ने जितने पैसे दिए है न उसमें तो विदेश जा कर भी अपना इलाज करवा सकती है ये छोटे मोटे घाव तो दो चार दिन में भर जायेंगे पर ऐसा कस्टमर फिर नहीं मिलेगा....आप क्या लेंगी....सुमन फिर चौंक उठी 'आप' सुनकर...तू तड़ाक और गालियां सुनने के आदी कानो को सहज ही भरोसा नहीं हो रहा था फिर भी उसने कहा थैंक यू में ड्रिंक नहीं करती..फिर मुस्कुराते हुए वो बोला सुनो घबराने के जरूरत नहीं मुझे एक कंपनी चाहिए अपन समय बिताने के लिए तुम भी मेरे जैसी ही हो बेझिझक और बेपरवाह रहो...मैं कोई जानवर नहीं हूँ...सुमन मन ही मन सोचने लगी…हाँ दिखते तो सब इंसान जैसे ही है पर हक़ीक़त कौन जाने…बड़ी ज़िद के बाद सुमन ने अपने लिए कोक मंगाई. धीरे धीरे सुमन ने महसूस किया की ये इंसान अब तक मिले सारे कस्टमर से बेहतर है काम जानते हुए और वो भी तब जब उसने पूरे तीन दिन के पैसे भी दे दिए ४ घंटे बाद भी बेहद शालीनता से पेश आ रहे इस इंसान में सुमन की भी दिलचस्पी बढ़ने लगी...एक लम्बा अंतराल बीत गया उस कस्टमर ने सुमन के लिए खाना मंगाया. सुमन ने बातों बातों में उसके गिलास से कुछ घूंट व्हिस्की पी ली…अब सुमन भी उससे बात करके अच्छा महसूस कर रही थी...थोड़ी देर बाद सुमन भी काफी व्हिस्की पी चुकी थी…नशे में ही उसने कहाँ, सुनिए आपने इतना समय यूँही बिता दिया क्यों कुछ करना नहीं है क्या? फिर वही मीठी सी मुस्कान के साथ उसने जवाब दिया.. कर तो रहा हूँ तुमसे ढेर सारी बात तुम्हारे साथ इतना बेहतर वक़्त बिता रहा हूँ तुमको जानने की कोशिश कर रहा हूँ...सुमन ने थोड़ा सा रूखे लहजे में जबाब दिया.. क्यों क्या करेंगे मेरे बारे में जानकारी हासिल करके? आप कोई पत्रकार या टीवी वाले है जो मेरी कहानी जानकार कल छाप देंगे? नहीं में भारत सरकार के लिए काम करता हूँ...क्या काम, सुमन ने पूछा. वो नहीं बता सकता, मजबूरी है. सुमन ने कहा, छोड़ों मुझे क्या करना है...मेरा इतना बढ़िया समय पास हो रहा है जो कम से कम उस चुड़ैल राधा बाई के पास रहने से तो कई गुना बेहतर है. सुमन अब सोफे से उठकर बेड पर उसके करीब आ कर बैठ गयी और उसने एक सिगरेट जला ली…तुम सिगरेट भी पीती हो...हाँ कभी कभी जब आप जैसे अच्छे लोग मिल जाते है..वो हंसकर बोला अच्छे लोग?..में अच्छा हूँ तुमको कैसे मालूम? सुमन साहब रोज़ दुनिया से पाला पड़ता है इतना तो समझ सकती हूँ. बातों का सिलसिला और पीने का दौर चलता ही गया ...और इस दौरान सुमन ने अपने जीवन का सारा सत्य सब कुछ उगल दिया, सुबह के ५.०० बज रहे थे और पी कर निढाल हो सुमन बिस्तर पर गिर पड़ी... |
अचानक किसी ने उसे पकड़ कर उठाया तो ...देखा वही कस्टमर जिसने अपना नाम आनंद बताया था उसे जगाने की कोशिस कर रहा था ..२ बज चुके है उठो क्या लंच नहीं करना कब से सो रही हो.सुमन का सर बिलकुल भारी हो गया था रात को इतना पी लेने से... सुमन उठ कर वाशरूम में चली गयी. उससे फिर सब हक़ीक़त याद आई की वो कहाँ है और क्यों? पर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ की एक रात बीत जाने के बाद भी उसके साथ कुछ नहीं हुआ था. सुमन नहा कर बहार निकली तो लंच तैयार था…दोनों ने मिलकर लंच किया. सुमन इतने ज़िंदादिल कस्टमर को पहली बार पाकर बेहद खुश थी. आज पहली बार उसे आदमियों में थोड़ा दिलचस्पी हो रही थी. | अचानक किसी ने उसे पकड़ कर उठाया तो ...देखा वही कस्टमर जिसने अपना नाम आनंद बताया था उसे जगाने की कोशिस कर रहा था ..२ बज चुके है उठो क्या लंच नहीं करना कब से सो रही हो.सुमन का सर बिलकुल भारी हो गया था रात को इतना पी लेने से... सुमन उठ कर वाशरूम में चली गयी. उससे फिर सब हक़ीक़त याद आई की वो कहाँ है और क्यों? पर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ की एक रात बीत जाने के बाद भी उसके साथ कुछ नहीं हुआ था. सुमन नहा कर बहार निकली तो लंच तैयार था…दोनों ने मिलकर लंच किया. सुमन इतने ज़िंदादिल कस्टमर को पहली बार पाकर बेहद खुश थी. आज पहली बार उसे आदमियों में थोड़ा दिलचस्पी हो रही थी. |