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सही वक़्त पर सही कारण और सही तरीके से काम को करने का कौशल. प्रभावपूर्ण तरीके से समय का प्रबंधन करने कि अत्यधीक तथा पुरानी अक्षमता अटेन्सन डेफिसिट डिसौदर का परिणाम हो सकती है. नैदानिक मानदंडों में शामिल हैं:- | सही वक़्त पर सही कारण और सही तरीके से काम को करने का कौशल. प्रभावपूर्ण तरीके से समय का प्रबंधन करने कि अत्यधीक तथा पुरानी अक्षमता अटेन्सन डेफिसिट डिसौदर का परिणाम हो सकती है. नैदानिक मानदंडों में शामिल हैं:- | ||
− | कम उपलब्धि की भावना | + | *कम उपलब्धि की भावना |
+ | *संगठित होने में कठिनाई | ||
+ | *कोई काम शुरू करने में परेशानी | ||
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+ | एक साथ कई परियोजनाओं पर काम करना और फिर पूरा करने में कठिनाइयों का आना और ये सभी शारीरिक अक्षमता के वजह से उत्त्पन्न कठिनाइयों या जटिलता का परिणाम हो सकते हैं. कई काम होते हैं जिन्हें हम पूरा करना चाहते हैं और जिन्दगी किसी के लिए रूकती नहीं. तो किस तरह से हम रोके समय को ताकि हम अपना काम कर सके और वो भी तब जब शारीरिक अक्षमता कि वजह से हमारे पास ऊर्जा काफी सिमित मात्रा में हो. दोस्तों यहाँ मैं इसके लिए निम्नलिखित सुझाव दूंगी:- | ||
*छोटे छोटे लक्ष्य जिन्हें आप पाना चाहते हों उनकी एक फेहरिस्त बनाइये. | *छोटे छोटे लक्ष्य जिन्हें आप पाना चाहते हों उनकी एक फेहरिस्त बनाइये. |
Revision as of 01:12, 14 February 2012
वक़्त प्रबंधन है क्या ?
सही वक़्त पर सही कारण और सही तरीके से काम को करने का कौशल. प्रभावपूर्ण तरीके से समय का प्रबंधन करने कि अत्यधीक तथा पुरानी अक्षमता अटेन्सन डेफिसिट डिसौदर का परिणाम हो सकती है. नैदानिक मानदंडों में शामिल हैं:-
- कम उपलब्धि की भावना
- संगठित होने में कठिनाई
- कोई काम शुरू करने में परेशानी
एक साथ कई परियोजनाओं पर काम करना और फिर पूरा करने में कठिनाइयों का आना और ये सभी शारीरिक अक्षमता के वजह से उत्त्पन्न कठिनाइयों या जटिलता का परिणाम हो सकते हैं. कई काम होते हैं जिन्हें हम पूरा करना चाहते हैं और जिन्दगी किसी के लिए रूकती नहीं. तो किस तरह से हम रोके समय को ताकि हम अपना काम कर सके और वो भी तब जब शारीरिक अक्षमता कि वजह से हमारे पास ऊर्जा काफी सिमित मात्रा में हो. दोस्तों यहाँ मैं इसके लिए निम्नलिखित सुझाव दूंगी:-
- छोटे छोटे लक्ष्य जिन्हें आप पाना चाहते हों उनकी एक फेहरिस्त बनाइये.
- इसके बाद अपनी जिन्दगी के पाँच महत्वपूर्ण हिस्सों का चुनाव करें जिन्हें आप बेहतर बनाना चाहते हैं. उनमें ये हो सकते हैं: आर्थिकता, परिवार, व्यवसाय(आजीविका), घर और तंदुरुस्ती. इन सभी श्रेणियों के सामने उन सब कार्यों को लिखिए जो आपको करने हैं इन लक्ष्यों को पाने के लिए.
- शारीरिक रूप से थकाने वाले कामों को एक हीं दिन में कर लेने की अपेक्षा उनके बीच में कुछ अंतर रखें. जो काम शरीर को थका देने वाले हों उन्हें करने के बाद विश्राम के लिए पर्याप्त समय रखें. इस सूची को बनाते वक़्त ध्यान दें कौन सा काम दूसरों को सौंपा जा सकता है.
- कई बार लोग मदद करना तो चाहते हैं पर उन्हें पता नहीं होता कि कैसे करें या फिर वो भूल जाते हैं कि आपको उनकी जरुरत है. उनसे पूछिये और देखिये कि वो क्या कर सकते हैं.
- आराम कि जितनी जरुरत हो उतना समय बचा कर रखें. समय को खाली देख कर उसमें बीस कामों को भी घुसा देना आसान होता है पर इसकी वजह से आपको घबराहट भी हो सकती है और अंततः आप उनमें से कोई काम नहीं कर पायेंगे.
समय का प्रबंधन आम इंसान के लिए बहुत मुश्किल नहीं होता. शारीरिक अक्षमता वाले लोगों के लिए आम दुनिया कि नियमो के तहत चलना काफी थका देने वाला भी हो सकता है. उन्हें अपनी अक्षमताओं कि वजह से अपने निर्धारित लक्ष्य को पाने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
अक्षम लोगों के काम करने का तरीका आम लोगों से काफी अलग होता है. आम इंसान जिस दबाव को आसानी से झेल जाते हैं, अक्षमताओं वाले लोगों को उसे झेलने में भी काफी परेशानी होती है. अपनी जिन्दगी के अधिकांश समय वे इन दबावों को ना झेल पाने कि कुंठा में जीते हैं. इसी वजह से हमें वक़्त प्रबंधन का कौशल आना हीं चाहिए, इससे हमें ये निम्न फायेदे होंगे:
- लक्ष्य की प्राप्ति
- स्व-नियंत्रण का एहसास
- तनाव में कमी
- जिन्दगी के महत्वपूर्ण हिस्सों के लिए वक़्त. संतुलन का एहसास
- श्रम में कमी और जीवन में आनंद
- ये एहसास की हमारे पास भी विकल्प हैं
- योग्यता में वृद्धि
वक़्त प्रबंधन के इस्तेमाल से हम निम्लिखित बातें सीखते हैं :-
- जरुरी और गैर जरुरी कामों का निर्धारण करना
- सबसे प्रभावपूर्ण तरीके से वक़्त का इस्तेमाल करना
- काम करने के लिए समय की उपलब्धता बढ़ाना, उद्विग्नता या विकर्षण को नियंत्रित करना
- कार्य्साधाकता में इजाफा करना
- निजी तनाव को कम करना