Difference between revisions of "पेशीय दुर्विकास (मस्कुलर डिस्ट्रोफी)"

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Latest revision as of 21:25, 14 July 2013

पेशीय दुर्विकास (मस्कुलर डिस्ट्रोफी) का शाब्दिक अर्थ होता है शक्ति क्षीण होना या पेशीय अपक्षय। पेशीय दुर्विकास आनुवांशिक रोगों का समूह है जिसमें क्रमिक अंदाज में कमजोरी आती जाती है; और गति को नियंत्रित करने वाली कंकालीय पेशियां (स्केलेटल मसल्स) छीजती जाती हैं। कई तरह के पेशीय दुर्विकास होते हैं। उनमें से कुछ जन्म के समय दिखाई पड़ जाती हैं और उन्हें जन्मजात पेशीय दुष्पोषण कहा जाता है जबकि कुछ अन्य पेशीय दुष्पोषण या दुर्विकास किशोरावस्था में विकसित होते हैं (बेकर एमडी)। पेशीय दुर्विकास की शुरुआत चाहे जब भी हो लेकिन उनमें से कुछ चलने-फिरने की असमर्थता या यहां तक कि लकवा पैदा करती हैं।

डचेन एमडी

डचेन एमडी मुख्य रूप से लड़कों मे होती है और पेशीयतंतुओं की अखंडता को नियंत्रित अक्षुण्ण रखने वाली प्रोटीन डिस्ट्रोफिन को नियंत्रित करने वाली जीन के उत्परिवर्तन का नतीजा होती है। इसकी शुरुआत उसे 5 साल की उम्र में होती है और बहुत तेजी से बढ़ता है। अधिकतर लड़के 12 की उम्र में चलने-फिरने में असमर्थ हो जाते हैं और 20 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते सांस लेने के लिए उन्हें श्वास यंत्र की आवश्यकता पड़ जाती है।

फेसिओस्कैपुलोह्यूमेरल एमडी

फेसिओस्कैपुलोह्यूमेरल एमडी किशोरावस्था में प्रकट होता है और चेहरे और हाथ-पैरों की कुछ विशेष पेशियों में सिलसिलेवार कमजोरी पैदा करती है। यह धीमे-धीमे बढ़ता है और इसमें हल्के पेशीय दुष्पोषण से लेकर विकलांग तक के लक्षण पैदा करता है।

मायोटोनिक एमडी

मायोटोनिक एमडी अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग उम्र में प्रकट होता है और इसमें उंगलियों और चेहरे की पेशियों में मायोटोनिया (विलंबित पेशी आकुंचन) और अस्थिर पैर, ऊंचे कदम उठा कर चलने की चाल, मोतियाबिंद, हृदय विकार, और अंत:स्रावी विक्षोभ-जैसी तकलीफें होती हैं। मायोटोपिक एमडी से पीड़ित व्यक्तियों के चेहरे लंबे होते हैं और और पलकें भिची रहती हैं। परुषों में आगे की तरफ का गंजापन आ जाता है।

क्या कोई इलाज है?

विभिन्न मस्कुलर डिस्ट्राफीज का कोई खास इलाज नहीं है। पीड़ादायक पेशीय आकुंचनों को रोकने के लिए प्राय: भौतिकोपचार का सहारा लिया जाता है। और कुछ तरह के एमडी के रोमियों के दर्द पर नियंत्रण रखने और पेशीय क्षय को रोकने के लिए कुछ निर्धारित दवाइयां दी जाती हैं। सहारा देने के लिए विकलांग उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है जबकि कुछ मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए विकृति निवारण विकलांग शल्यचिकित्सा की जाती है। कुछ मरीजों को जैसा कि पहले भी उल्लेख किया गया है। श्वसन चिकित्सा की अनावश्यकता होती है और अंतत: हृदय विकारों के लिए पेसमेकर की जरूरत पड़ सकती है।