अवसाद प्रबंधन

From Cross the Hurdles
Revision as of 22:06, 26 January 2012 by Abha Khetarpal (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)

Management Tips

Depression management

Wheelchair open door.jpg

जब आप अवसाद ग्रस्त हों या फिर मन कुछ बुझा बुझा सा लग रहा हो तो खुद को बिल्कुल मजबूर, असहाय सा महसूस करने लगते हैं, ऐसा लगता है मानो जीवन में कुछ अच्छा होगा हीं नहीं और आप कुछ कर भी नहीं सकते. अपने सोचने के तरीके में थोड़ा सा बदलाव लाकर आप इन नकारात्मक विचारों को ख़त्म कर सकते हैं या कम से कम घटा तो सकते हीं हैं. अपने थोड़े से प्रयास से आप अवसाद के साथ आने वाले नकारात्मक और खुद को हरा देने वाले विचारों में बदलाव ला सकते हैं. अवसाद के क्षणों में हम हर काम का सबसे बुरा परिणाम हीं सोचते हैं और अगर हम किसी अक्षमता से जूझ रहे हों तो ऐसे विचार अक्सर हमारे दिलो दिमाग में विचरते रहते हैं. ऐसे क्षणों में व्यक्तित्व विरूपण के लक्षण नज़र आने लगते हैं, हम खुद से भी झूठ बोलने लगते हैं, कमियों का अतिरंजन करने लगते हैं बढ़ा चढ़ा कर सोचते हैं और यहाँ तक कि इंसान खुद के लिए अपमानजनक बातें भी सोचने लगता है. इसके अलावा संज्ञानात्मक (ज्ञान सम्बन्धी) विकृतियाँ भी आपको दुखी कर सकती है. बातों को बहुत ज्यादा व्यापक बनाने या फिर सीधे निष्कर्ष तक पहुँचने के रवैये के कारण भी तनाव की स्थिति उत्पन हो जाती है.

ऐसी स्थिति में इंसान भावनात्मक तर्कों से सकारात्मक बातों को भी नकारात्मक रूप देने लगता है. परिणामतः इंसान छोटी बातों को भी वृहत रूप में देखने लगता है, उसके भीतर एक मानसिक उथल पुथल मच जाती है और फिर वह खुद पर हीं तरस खाने लगता है.

अगर आप कभी खुद को ऐसी स्थिति में पाते हैं तो नीचे दी गयी बातें आपके लिए मददगार साबित हो सकती हैं :-

  • उस परिस्थिति के पहले और बाद के अपने विचारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए परिस्थिति का विवरण करें
  • नकारात्मक और खुद को हराने वाले विचारों को नोट करने की आदत बना लें
  • अपने आप से इन नकारात्मक विचारों की तथ्यता पर प्रश्न करें और ईमानदारी के साथ सही उत्तर ढूंढें. इन उत्तरों को उनकी तथ्यता के आधार पर एक से सौ तक की संख्या में दर्ज करें
  • इस आधार पर अपनी मानसिक विरूपण को पहचाना और उसे नियंत्रित किया जा सकता है.
  • तर्कहीन विचारों के जगह यथार्थवादी और तर्कसंगत सोच को विकसित करते हुए सकारात्मक विचारों को मन में बिठाना चाहिए
  • जिन स्थितियों को बदला नहीं जा सकता उनका सामना करना चाहिए और उपयुक्त आत्म प्रबंधन की दक्षता को भी विकसित करना चाहिए

अवसाद पूरी जिन्दगी की गुणवत्ता पर असर डालता है इसलिए कोशिश करें कि आप इसके शिकार ना हों.

Translated in Hindi by Alokita Gupta