डर पर विजय प्राप्त करने के कुछ नुस्खे
डर किसी संभावित खतरे के प्रति एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है. यह निम्न लक्षणों का कारक हो सकता है :
- ह्रदय की तीव्र गति
- रक्तचाप का बढ़ जाना
- मांसपेशियों में कसावट
- हमारी इन्द्रियों का तेज़ी से काम करना शुरू हो जाना
- पुतलियों में फैलाव आ जाना (आँखों में अधिकाधिक प्रकाश के प्रवेश के लिए )
- ज्यादा पसीना आना
डर पर विजय प्राप्त करना महज़ नियंत्रण की बात है. दिए गए कुछ नुस्खे आपको अपनी भावनाओं तथा आपकी जिन्दगी को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने में मदद करेंगे:
सर्वप्रथम यह स्वीकारने की जरुरत है कि आप एक इंसान हैं और इंसानों में भावनाएं होती हैं. यह स्वीकारने की जरुरत है कि कभी कभी हम डरते हैं.
डरने से न डरें. खुद को रोने दे, कांपने दे, डर को निकल जाने दें. आपको जरुरत है कि आप बात करें कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं.
डर के साथ हीं अकेले कोई निर्णय करने की आवश्यकता नहीं. आवश्यकता है सोचने की !
स्थिति का जायज़ा लेने की जरुरत होती है. हमें यह सोचने की आवश्यकता है सबसे बुरा क्या हो सकता है और हमारे पास कौन से विकल्प हैं.
इससे पहले की डर आप पर काबू पा ले आप डर पर काबू कीजिये. डर की स्थिति में खुद पर काबू पाना और खुद को आराम देना सीखिए. अपनी स्वांस गति पर काबू कीजिये. धीमी और गहरी साँसे लीजिये. इसके अलावा भी और व्यायाम सीखे जो डर के प्रति आपकी प्रतिक्रिया को काबू कर सके.
उग्र हो जाना डर पर काबू पाने का दूसरा तरीका है. कई बार गुस्सा भी डर की प्रतिक्रियाओं को दबा देता है. इस गुस्से को सकारात्मक कार्य की ओर उन्मुख करने की आवश्यकता है. सोचिये, योजना बनाइये और तब महसूस कीजिये.
स्थिति को छोड़िए और बच निकलिये
मानसिक चित्रण (कल्पना) भी डर पर काबू पाने में मददगार साबित हो सकता है. हालात के बारे में सोचने या उसका सामना करने से बचने का प्रयास ना करें. कल्पना आपको उस स्थिति से सामना करने में मदद करती है. खुद को उस स्थिति में रखें जो स्थिति आपको डराती हो. सीखिए कि उस स्थिति में आपक किस प्रकार डर से निजात पा सकते हैं.
पहचानिए किस चीज़ के प्रति आप प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
देखीये कि आप उस स्थिति को बदलने के लिए क्या कर सकते हैं, कैसे उसे थोडा कम डरावना बना सकते हैं, जैसे प्रार्थना करना.
Translated in Hindi by Alokita Gupta