विकलांग बच्चों हेतुसमेकित शिक्षा (आईईडीसी) स्कीम
विकलांग बच्चों की एकीकृत शिक्षा की केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम को मार्च 2009-10 से शुरू किया गया था। इस स्कीम को पूर्ववर्ती विकलांग बच्चों हेतु समेकित शिक्षा (आईईडीसी) स्कीम के स्थान पर शुरू किया गया है तथा इसके तहत कक्षा-IX-XII तक के विकलांग बच्चों की समावेशी शिक्षा के लिए सहायता प्रदान की जाती है।
इस स्कीम का उद्देश्य सभी विकलांग विद्यार्थियों को प्रारंभिक शिक्षा के 8 वर्ष पूरा करने के बाद माध्यमिक विद्यालय स्तर के अगले चार वर्षों (कक्षा IX से XII) तक समावेशी एवं अनुकूल माहौल में शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्रदान करना है।
इस स्कीम के संघटकों में शामिल है:
- चिकित्सीय/शैक्षिक आवश्यकताओं का मूल्यांकन करना
- विद्यार्थी विशिष्ट सुविधाओं का प्रावधान करना
- अध्ययन सामग्री का विकास करना
- विशेष एडुकेटर्स जैसी सहायक सेवाएं
- संसाधनों कक्षों का निर्माण तथा उन्हें उपकरणों से साज-सज्जित करना
- बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने कीक्षमता का निर्माण करने हेतु सामान्य स्कूल अध्यापकों को प्रशिक्षण प्रदान करना #स्कूलों को बाधा रहित बनाना।
प्रत्येक राज्य में मॉडल समावेशी स्कूलों की स्थापना करने की भी अभिकल्पना की गई है।
इस स्कीम में प्रारंभिक स्कूली शिक्षा उत्तीर्ण करने वाले तथा सरकारी, स्थानीय निकाय एवं सरकार द्वारा सहायता प्राप्त स्कूलों में माध्यमिक स्तर पर अध्ययन करने वाले वे सभी बच्चे शामिल किए गए है, जो 14+ से 18+(कक्षा IX से XII) आयु के हैं तथा राष्ट्रीय विकलांग व्यक्ति अधिनियम (1995) एवं राष्ट्रीय न्यास अधिनियम (1999) में परिमाणित की गई एक या एक से अधिक विकलांगता है।
विकलांगता इस प्रकार है नामत:
- अन्धता
- कम दृष्टि
- उपचारित मिर्गी
- सुनने में बाधा
- लोकोमोटर विकलांगता
- मानसिक विकलांगता
- आटिज्म और
- सेरिबरल पाल्सी तथा बोलने में मुश्िकल, सीखने में मुश्किल को शामिल किया गया है।
अक्षम बालिकाओं के लिए प्रतिमाह `200 के बजीफा का प्रावधान किया गया है। विकलांग बालिकाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है तथा इस स्कीम के तहत माध्यमिक स्कूलों में अध्ययन हेतु उनकी सहायता करना तथा उनकी क्षमताओं के विकास के लिए सूचना तथा दिशा-निर्देश प्रदान करना शामिल है।
इस स्कीम में शामिल किए गए सभी मुद्दों के लिए केन्द्रीय सहायता 100 प्रतिशत आधार पर प्रदान की जाती है। राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेश प्रशासन (यूटी) के स्कूल शिक्षा विभाग इस स्कीम की कार्यान्वयन एजेंसी होगी। वे इस स्कीम के कार्यान्वयन में विकलांगों की शिक्षा के क्षेत्र में अनुभवी गैर-सरकारी संगठनों को भी शामिल कर सकते हैं, केन्द्रीय स्तर पर राज्य सरकारों से प्राप्त प्रस्तावों के मूल्यांकन तथा इसके मूल्यांकन की मानीटरिंग हेतु एक परियोजना मॉनीटरिंग एवं मूल्यांकन समूह (पीएमईजी) का गठन किया गया है। इसमें समावेशी शिक्षा के क्षेत्र के अनुभवी लोगों को शामिल किया गया है। निर्धारित फार्मेट के अनुसार, प्रस्तावों के आधार पर राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है तथा इसका अनुमोदन पीएमईजी द्वारा किया जाता है जिसकी अध्यक्षता सचिव (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग) द्वारा की जाती है।