आत्म-सुखदायक कौशल
कुछ अप्रिय यादें या कोई पीड़ादायी घटना अचानक से सोच पर हावी हो सकती है और हो सकता है की सहज रूप में सामाजिक सहायता भी ना मिले. अतएव यह जरुरी है की आप स्वयं ऐसी परिस्थिति से निपटने की रणनीति सीखें. अपनी मनोदशा को ठीक करने की यह रणनीतियां 'आत्म-सुखदायक कौशल' कहलाती हैं.
प्रभावशाली आत्म-सुखदायक कौशल के अंतर्गत सामान्यतः एक या उससे अधीक या पांचो इंद्रियों का इस्तेमाल होता है (स्पर्श, रस(स्वाद), गंध, दृश्य, ध्वनि) नीचे इन पांचो से सम्बंधित आत्म-सुखदायक कौशल के कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं.
स्पर्श
- गुनगुने पानी से स्नान
- मालिश
- सूर्य की गर्मी में कुछ देर का विश्राम
- स्ट्रेचिंग
- तैराकी करना (सिर्फ जो कर सकते हैं )
- आराम दायक कपडे पहनना
- किसी जानवर के साथ खेलना
रस(स्वाद)
- तसल्ली देने वाला कोई भोजन खाना
- जड़ी बूटियों(हर्बल) वाले चाय की चुस्की लेना
- निरामय भोजन लेना
- कड़े कैंडी(टॉफी) को चुसना
गंध
- फूलों की खरीदारी करना (जो बाहर नहीं जा सकते घर बैठे इंटरनेट से भी खरीदारी कर सकते है)
- लैवेंडर या वैनिला सूंघना
- सुगन्धित मोमबत्ती/अगरबत्ती जलाना
- ताज़ी हवा में गहरी साँसे लेना
दृश्य
- हास्य सिनेमा या हास्य भरा कोई कार्यक्रम देखना
- कोई अच्छी किताब पढ़ना
- प्रियजनों की तस्वीरें देखना
- पिछली छुट्टियों अथवा उन जगहों जहां आप जाना चाहते हों वहाँ की तस्वीरें देखना
- बादलों को निहारना
ध्वनि
- सुखद संगीत सुनना
- खुद के लिए गाना
- खुद से सकारात्मक बातें कहना या खुद को प्रोत्साहित करना
- कोई वाद्य यंत्र बजाना
जब इन रणनीतियों पर चल रहे हों तो अपना पूरा ध्यान इन कामो पर हीं दें. अर्थात अपना पूरा ध्यान किये जा रहे काम पर रखें और हर एहसास को अपनी अनुभूति में शामिल करें यदि बीच में ध्यान भटक भी जाए तो सप्रयास अपना ध्यान वापस लगायें.
यूँ हीं खुद के लिए अपनी नीतियाँ बनायें जो आप उस वक़्त इस्तेमाल कर सकें जब आप परेशान या विक्षुब्ध महसूस कर रहे हों. जितनी ज्यादा से ज्यादा नीतियाँ बना सकें उतना बेहतर होगा, क्यूंकि जितनी ज्यादा नीतियाँ होंगी उतने बेहतर तरीके से आप अपनी मनोदशा को ठीक कर सकेंगे.
Translated in Hindi by Alokita Gupta